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Wednesday, September 29, 2010

कन्हैया कन्हैया
कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा आना पड़ेगा
 .
वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा ..

गोकुल में आया मथुरा में आ
 छवि प्यारी प्यारी कहीं तो दिखा
. अरे सांवरे देख आ के ज़रा सूनी
सूनी पड़ी है तेरी द्वारिका ..

जमुना के पानी में हलचल नहीं .
 मधुबन में पहला सा जलथल नहीं .
 वही कुंज गलियाँ वही गोपिआँ .
 छनकती मगर कोई झान्झर नहीं 

कृष्ण भजन


कन्हैया कन्हैया 
कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा आना पड़ेगा . 
वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा .. 

गोकुल में आया मथुरा में आ 
छवि प्यारी प्यारी कहीं तो दिखा . 
अरे सांवरे देख आ के ज़रा 
सूनी सूनी पड़ी है तेरी द्वारिका .. 

जमुना के पानी में हलचल नहीं . 
मधुबन में पहला सा जलथल नहीं . 
वही कुंज गलियाँ वही गोपिआँ . 
छनकती मगर कोई झान्झर नहीं . 

कृष्ण भजन


नंद बाबाजी को छैया 
नंद बाबाजी को छैया वाको नाम है कन्हैया . 
कन्हैया कन्हैया रे .. 
बड़ो गेंद को खिलैया  आयो आयो रे कन्हैया . 
कन्हैया कन्हैया रे .. 

काहे की गेंद है काहे का बल्ला 
गेंद मे काहे का लागा है छल्ला 
कौन ग्वाल ये खेलन आये खेलें ता ता थैया ओ भैया . 
कन्हैया कन्हैया रे .. 

रेशम की गेंद है चंदन का बल्ला 
गेंद में मोतियां लागे हैं छल्ला 
सुघड़ मनसुखा खेलन आये बृज बालन के भैया कन्हैया . 
कन्हैया कन्हैया रे .. 

नीली यमुना है नीला गगन है 
नीले कन्हैया नीला कदम्ब है 
सुघड़ श्याम के सुघड़ खेल में नीले खेल खिलैया ओ भैया . 
कन्हैया कन्हैया रे .. 

कृष्ण भजन


जागो बंसीवारे ललना  
जागो बंसीवारे ललना जागो मोरे प्यारे .. 

रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवाड़े . 
गोपी दही मथत सुनियत है कंगना की झनकारे .. 

उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाड़े द्वारे . 
ग्वालबाल सब करत कोलाहल जय जय शब्द उचारे .. 

माखन रोटी हाथ में लीजे गौअन के रखवारे . 
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर शरण आया को तारे 

Radha Krishna Prem

मादक मुरली सुनके राधा,आ गयी तोड़ जगत के रीत




लाल अंगोछा,पीली धोती
हाथ में कंगन,गले में मोती
ऐसा रूप सजा कान्हा का
लगता जैसे जगमत ज्योति

बैजयंती माला है लटके
पैर में पैजनिया बाजे
केसर तिलक शोभे सिर पे
कमर में कमरधनी साजे

कान में कुंडल,आँखों में काजल,
और होठों पे है लाली
मोर पंख के साथ है खिलती
सिर पे ये पगड़ी निराली

काली-काली लटों के बीच
श्यामल-सा ये मुखड़ा
जैसे सूरज चमक रहा हो
और पीछे बादल का टुकड़ा

मंद-मंद मुस्काए कान्हा,
वंशी बजाये मीठे गीत
मादक मुरली सुनके राधा
आ गयी तोड़ जगत के रीत.

एक दोस्त

एक दोस्त़ दिल की हर बात कह सकूं पास उसके आकर
एक दोस्त़ समझे मुझे जो सब बातों से परे जाकर
करूँ मैं गलती तो नाराज़ भी हो मुझ पर
लेकिन वो मान जाए मुझको शर्मिन्दा पाकर
एक दोस्त जो दोस्त से ज़्यादा और कुछ भी ना हो
एक दोस्त जिससे ज़्यादा और कुछ भी ना हो
एक दोस्त जिसको देख कर अपने पर हो नाज़
एक दोस्त जो पास आए जब मेरा दिल हो उदास
एक दोस्त जिसके लिए दिल चाहे सब कुछ करना
एक दोस्त जिसके लिए मर जाएं हम ग़र पड़े मरना
एक दोस्त जिसकी दोस्ती की ना हो कोई मिसाल
एक दोस्त बेसाख़्ता आ जाए जिसका ख़्याल
एक दोस्त करूँ दुआ जिसके लिए हर घड़ी हर पहर
एक दोस्त जो याद आए सुबह शाम रात और सहर
एक दोस्त जो कभी हँसाए तो कभी करे हैरान
एक दोस्त समझ सके जो कि मैं हूँ कुछ परेशान
एक दोस्त जो फरिश्ते सी हो महान
एक दोस्त जिसकी दोस्ती ही हो उसकी पहचान
ज़िन्दगी में दोस्तों की कोई कमी ना थी
दोस्त तो थे बहुत पर एक सखी ना थी
एक दोस्त की दिल में ऐसी कोई छवि ना थी
एक दोस्त मेरी जब तक माधवी ना थी

Krishna Prem

वह तो जगदीश थे
समस्त चराचर के स्वामी
हवा के चलने से
पत्ते के हिलने तक सब कुछ
था उनके अधिकार में
विश्वपति तो थे ही वो
मनुष्य लोक में भी
नरपति द्वारकाधीश कहलाए
जिसमें हो ब्रहमांड निहित
कौन थाह उसकी पाए?
वे रुक्मणी को हर लाएँ
या संग राधिका रास रचाएँ
उस असीम को सीमित कर दे
मैं भी जानूँ वो सीमा क्या है?
वरना कृष्ण प्रेम और ओम प्रेम में अंतर क्या है?
शक्ति जिनके वाम विराजे
उन्हे प्रेम फिर क्यों ना साजे?
उनके हाथ सुर्दशन चक्र
मेरे हाथ में बैसाखी
कृष्ण प्रेम था ललित बहुत
पर ओम प्रेम है कृष्ण नहीं
अनछुए वर्ण श्वेत की भांति
ललित प्रेम भी उज्जवल है
किन्तु मैं ठहरा
जीवन सागर में गोते खाते
निरीह प्राणियों से भी
निरीहतर प्राणी
मैं ओम वे तो कृष्ण हैं
मैं जीव वे तो परमात्मा हैं
वे ना जाने यह जीवन का आवर्तन क्या है
वरना कृष्ण प्रेम और ओम प्रेम में अंतर क्या है?