वह तो जगदीश थे
समस्त चराचर के स्वामी
हवा के चलने से
पत्ते के हिलने तक सब कुछ
था उनके अधिकार में
विश्वपति तो थे ही वो
मनुष्य लोक में भी
नरपति द्वारकाधीश कहलाए
जिसमें हो ब्रहमांड निहित
कौन थाह उसकी पाए?
वे रुक्मणी को हर लाएँ
या संग राधिका रास रचाएँ
उस असीम को सीमित कर दे
मैं भी जानूँ वो सीमा क्या है?
वरना कृष्ण प्रेम और ओम प्रेम में अंतर क्या है?
समस्त चराचर के स्वामी
हवा के चलने से
पत्ते के हिलने तक सब कुछ
था उनके अधिकार में
विश्वपति तो थे ही वो
मनुष्य लोक में भी
नरपति द्वारकाधीश कहलाए
जिसमें हो ब्रहमांड निहित
कौन थाह उसकी पाए?
वे रुक्मणी को हर लाएँ
या संग राधिका रास रचाएँ
उस असीम को सीमित कर दे
मैं भी जानूँ वो सीमा क्या है?
वरना कृष्ण प्रेम और ओम प्रेम में अंतर क्या है?
शक्ति जिनके वाम विराजे
उन्हे प्रेम फिर क्यों ना साजे?
उनके हाथ सुर्दशन चक्र
मेरे हाथ में बैसाखी
कृष्ण प्रेम था ललित बहुत
पर ओम प्रेम है कृष्ण नहीं
अनछुए वर्ण श्वेत की भांति
ललित प्रेम भी उज्जवल है
किन्तु मैं ठहरा
जीवन सागर में गोते खाते
निरीह प्राणियों से भी
निरीहतर प्राणी
मैं ओम वे तो कृष्ण हैं
मैं जीव वे तो परमात्मा हैं
वे ना जाने यह जीवन का आवर्तन क्या है
वरना कृष्ण प्रेम और ओम प्रेम में अंतर क्या है?
उन्हे प्रेम फिर क्यों ना साजे?
उनके हाथ सुर्दशन चक्र
मेरे हाथ में बैसाखी
कृष्ण प्रेम था ललित बहुत
पर ओम प्रेम है कृष्ण नहीं
अनछुए वर्ण श्वेत की भांति
ललित प्रेम भी उज्जवल है
किन्तु मैं ठहरा
जीवन सागर में गोते खाते
निरीह प्राणियों से भी
निरीहतर प्राणी
मैं ओम वे तो कृष्ण हैं
मैं जीव वे तो परमात्मा हैं
वे ना जाने यह जीवन का आवर्तन क्या है
वरना कृष्ण प्रेम और ओम प्रेम में अंतर क्या है?
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