लाल अंगोछा,पीली धोती
हाथ में कंगन,गले में मोती
ऐसा रूप सजा कान्हा का
लगता जैसे जगमत ज्योति
बैजयंती माला है लटके
पैर में पैजनिया बाजे
केसर तिलक शोभे सिर पे
कमर में कमरधनी साजे
कान में कुंडल,आँखों में काजल,
और होठों पे है लाली
मोर पंख के साथ है खिलती
सिर पे ये पगड़ी निराली
काली-काली लटों के बीच
श्यामल-सा ये मुखड़ा
जैसे सूरज चमक रहा हो
और पीछे बादल का टुकड़ा
मंद-मंद मुस्काए कान्हा,
वंशी बजाये मीठे गीत
मादक मुरली सुनके राधा
आ गयी तोड़ जगत के रीत.
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