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Wednesday, September 29, 2010

कृष्ण भजन


जागो बंसीवारे ललना  
जागो बंसीवारे ललना जागो मोरे प्यारे .. 

रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवाड़े . 
गोपी दही मथत सुनियत है कंगना की झनकारे .. 

उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाड़े द्वारे . 
ग्वालबाल सब करत कोलाहल जय जय शब्द उचारे .. 

माखन रोटी हाथ में लीजे गौअन के रखवारे . 
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर शरण आया को तारे 

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