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मादक मुरली सुनके राधा,आ गयी तोड़ जगत के रीत लाल अंगोछा,पीली धोती हाथ में कंगन,गले में मोती ऐसा रूप सजा कान्हा का लगता जैसे जगमत ज्योति बैज...
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1. बाबर के आज्ञा के अनुसार ही विवादित स्थल पर मस्जिद बनाई गई थी। 2. गवाहों या सबूतों से यह साफ नहीं होता कि विवादित ढांचा बाबर या किसी और ...
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एक दोस्त़ दिल की हर बात कह सकूं पास उसके आकर एक दोस्त़ समझे मुझे जो सब बातों से परे जाकर करूँ मैं गलती तो नाराज़ भी हो मुझ पर लेकिन वो मान...
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Te jo mithdi aankh maari, Mara haiya ma jhankaar vaagi; Je shakya naa hoy eva ghanaa, Svapnoni aas jaagi. Te jo be mitha bol bolya, Maar...
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नंद बाबाजी को छैया नंद बाबाजी को छैया वाको नाम है कन्हैया . कन्हैया कन्हैया रे .. बड़ो गेंद को खिलैया आयो आयो रे कन्हैया . कन्हैया कन्...
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माहरा सगळा भायला ने दिवाळी करवा चोथ रा मोकला - मोकला राम राम मान्ज्यो सा मैं भगवान सु आ ही आशीष माँगा हा की महल्डा सगळा भायला रे टापरे मैं ...
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Paade che saad tu mane roj khvaab ma, Taro avaaj sambhalu cho hu kitaab ma; Tari mahendi no rang maari ghazal ne sajaavashe, Ekaad patra ...
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जागो बंसीवारे ललना जागो बंसीवारे ललना जागो मोरे प्यारे .. रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवाड़े . गोपी दही मथत सुनियत है कंगना की झन...
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कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा आना पड़ेगा . वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा .. गोकुल में आया मथुरा में आ छवि प्यारी प्यार...
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कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा आना पड़ेगा . वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा .. गोकुल में आया मथुरा में आ छवि प्यारी प...
Monday, October 11, 2010
क्वींस बेटन गुलामी की प्रतीक: बाबा रामदेव
राष्ट्रमंडल खेलों में क्वींस बेटन को गुलामी का प्रतीक करार देते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि इसके विरोध स्वरूप ही उन्होंने खेलों के शुभारंभ समारोह में हिस्सेदारी नहीं की। यहां एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि कोई भी आजाद मुल्क गुलामी की निशानियों को ढोता नहीं है बल्कि उसे खत्म करता है लेकिन हमारे यहां ब्रिटेन के युवराज महारानी का संदेश पढकर खेलों का उद्घाटन करते हैं। क्वींस बेटन को उन तमाम मुल्कों में घुमाया जाता है जो कभी न कभी अंग्रेजों के गुलाम रहे थे। बाबा ने कहा कि अमेरिका भी कभी अंग्रेजों का गुलाम रहा था लेकिन आजाद होने के बाद उसने गुलामी की निशानियों को मिटा दिया। उन्होंने सडक पर चलने से लेकर बिजली के स्विच और कार के स्टेयरिंग से अंग्रेजी मानकों तक को बदल डाला है लेकिन भारत गुलामी की मानसिका से उबर नही पा रहा है। सरकारों पर लगाए ब्रिटिश ढर्रे पर कार्य करने का आरोप लगाते हुए बाबा ने का कि अगले तीन सालों में यदि सरकारों या दलों का रवैया नहीं बदला तो वे नया राजनीतिक विकल्प खडा करेंगे। देशभर में भारत स्वाभिमान यात्रा कर रहे बाबा ने यहां दिल्ली पहुंचने पर कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन परकरीब एक लाख करोड रूपए खर्च हो रहे हैं। इतनी राशि से एक हजार विश्वविद्यालय खुल सकते थे। फिर भी वे खेल विरोधी नहीं है, लेकिन खेलों के नाम पर गुलामी नहीं परोसी जानी चाहिए। इसमें भ्रष्टाचार करने वालों को ढंडित किया जना चाहिए।
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