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Monday, October 11, 2010

क्वींस बेटन गुलामी की प्रतीक: बाबा रामदेव

राष्ट्रमंडल खेलों में क्वींस बेटन को गुलामी का प्रतीक करार देते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि इसके विरोध स्वरूप ही उन्होंने खेलों के शुभारंभ समारोह में हिस्सेदारी नहीं की। यहां एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि कोई भी आजाद मुल्क गुलामी की निशानियों को ढोता नहीं है बल्कि उसे खत्म करता है लेकिन हमारे यहां ब्रिटेन के युवराज महारानी का संदेश पढकर खेलों का उद्घाटन करते हैं। क्वींस बेटन को उन तमाम मुल्कों में घुमाया जाता है जो कभी न कभी अंग्रेजों के गुलाम रहे थे। बाबा ने कहा कि अमेरिका भी कभी अंग्रेजों का गुलाम रहा था लेकिन आजाद होने के बाद उसने गुलामी की निशानियों को मिटा दिया। उन्होंने सडक पर चलने से लेकर बिजली के स्विच और कार के स्टेयरिंग से अंग्रेजी मानकों तक को बदल डाला है लेकिन भारत गुलामी की मानसिका से उबर नही पा रहा है। सरकारों पर लगाए ब्रिटिश ढर्रे पर कार्य करने का आरोप लगाते हुए बाबा ने का कि अगले तीन सालों में यदि सरकारों या दलों का रवैया नहीं बदला तो वे नया राजनीतिक विकल्प खडा करेंगे। देशभर में भारत स्वाभिमान यात्रा कर रहे बाबा ने यहां दिल्ली पहुंचने पर कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन परकरीब एक लाख करोड रूपए खर्च हो रहे हैं। इतनी राशि से एक हजार विश्वविद्यालय खुल सकते थे। फिर भी वे खेल विरोधी नहीं है, लेकिन खेलों के नाम पर गुलामी नहीं परोसी जानी चाहिए। इसमें भ्रष्टाचार करने वालों को ढंडित किया जना चाहिए।

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